Posts

Showing posts from March, 2015

Ishq mein shahar hona - Ravish kumar

Image
Snap of  Ravish Kumar's book Ishq mein shahar hona बहुत अर्से बाद ऐसी कोई किताब आई है हिन्दी साहित्य में जिसका चर्चा फेसबुक , ब्लॉग , साहित्यिक मंडली में इस कदर हो रहा है, कल तक पुस्तक मेलों से अंग्रेजी की किताब को दिखा कर और हिन्दी की किताब को छुपा कर लाने वाले हम-सब super journalist Ravish Kumar रवीश कुमार /विक्रम नायक की लप्रेक - फ़ेसबुक फ़िक्शन श्रृंखला किताब Ishq mein shaher hona / इश़्क में शह़र होना बड़े ही गर्व से खरीद रहे हैं साथ ही साथ किताब की तस्वीर और इस पर अपनी प्रतिक्रिया फे़सबुक पर डाल रहे हैं । इस किता ब की कितनी प्रतियां बिकी यह तो मुझे नही मालूम पर लोगों के बीच इस किताब को लेकर क्रेज से यह ज्ञात होता है कि यह किताब हिन्दी के लिए एक turning point जरुर साबित होगी । रवीश के इन छोटी कहानियां / विक्रम नायक के चित्रों का प्रभाव है या Rajkamal Prakashan Group के व्यापक प्रचार का पर जो भी है इन सबने मिल कर outdated पड़े हिन्दी को update ही किया है । इन सबने साबित कर दिया कि लेखक खुद को प्रसांगिक रख कर किताब लिखें और उसका जबरदस्त branding हो तो हि

Two poems of sudhakar ravi published in dainik bhaskar on 16-03-15.

Image
आज 16-03-15 के दैनिक भास्कर (पटना संस्करण) के साहित्य पेज में प्रकाशित मेरी दो कविता - 1. अखबार से      खूबसूरत कवि मूलतः नारी होता है  माँ के रूप में  वह प्रसव पीड़ा की तरह  वेदना सहकर  देता है शब्दों को जन्म ।  शब्द विन्यास के प्रसवकाल में  वही जनता है  माँ का दर्द  माँ ही है शब्द  जिससे सुंदरता जन्म लेती है  कवि मूलतः नारी होता है  माँ के रूप में।          ***** 2. लिपि ना कोइ लिपि  ना ही आवाज़ हो  फिर भी समझ ही जाते हैं  समझने वाले  उम्र का सीमा हो या हो भाषा की बंधन,  पर जता ही देते हैं  जतलाने वाले  मानव, पशु या हो  कोई भी जीव इस धरा  हर कोई समझता है  इस शब्द की भाषा   हर शब्द बयां होते है मुख से पर नजरों से बयां होकर और भी हो जाता है खूबसुरत सबसे खूबसुरत सबसे शास्वत , सबसे आकर्षक शब्द प्यार जिसमें समाहित है दुनिया भर का ज्ञान .       *****

स्वच्छ भारत | clean india | An article by Sudhakar Ravi

Image
                                  स्वच्छ भारत         हो ठों पे सच्चाई रहती है , जहाँ दिल में सफाई रहती है , हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है। गीतकार शैलेंद्र ने भारतवर्ष का सटीक चित्रण किया है कि भारत वह देश है जहाँ हर होठ पर सच्चाई का वास है , हर दिल में एक दूसरे के प्रति इज्जत , सम्मान रहता है , इस देश के वासी को गर्व  है कि उनके देश में गंगा बहती है , जिसके नाम सुनते ही  मन में स्वच्छता का प्रवाह हो जाता है , ह्रदय पवित्र हो जाता है ।                      स्वच्छता भारत में हमेशा से ही महत्वपूर्ण विषय रहा है । यहाँ के हरेक पर्व में स्वच्छता कहीं न कहीं विद्यमान है । बात चाहे दिवाली में की हो जब घर-गलियों को साफ-सथुरा कर , दीपों से सजा राम लला की प्रतिक्षा करने की हो या होलिका दहन कर अपने घर-संसार , मन-मस्तिष्क को पवित्र कर नए वर्ष में प्रवेश करने की हो ।स्वच्छता हर जगह विद्यमान क्योंकि स्वच्छ वातावरण में ही मनुष्य प्रसन्नचित रहता है । चित की प्रसन्नता सफलता और सुविचारों को जन्म देती है । सुविचार से कला-संस्कृति और नए आविष्कार का जन्म होता है ।                  

Two poem of Sudhakar Ravi published in Dainik Bhaskar.

Image
दैनिक भास्कर ( पटना संस्करण ) के साहित्य पेज में 23-02-2015 को प्रकाशित मेरी दो कविताएं Two poem of Sudhakar Ravi published in Dainik Bhaskar Patna edition in literature page on date 23-02-2015 . अखबार से दहके आग पला स के पतझड़ के जुर्म से दहक उठे हैं पलास के दिल में आग क्या जुर्म होने पर तुम्हारे दिल में दहकती है वह आग यदि नहीं, तो क्या आप जिन्दा हैं ? जुर्म के बाद दिल की आग दहक उठे यह पलास के फूलों से सीखो       ***** बूढ़ा महुआ का पेड़ उम्र का अनुभव बांटता आज भी खड़ा है वह बूढ़ा महुआ का पेड़ वसंत के आने पर रस के मादक हो उठते हैं उसके फूल किन्तु अपनी मर्यादा की सीमाओं को नहीं लांघता है वह वह नही गाता गन्दा फाग और चैता उसके गीतों से आज भी रस टपकते हैं सभ्यता और संस्कृति के .    *****