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आकाशवाणी पटना से युववाणी कार्यक्रम में प्रसारित कविताएं

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चाँद को फतवा प्रेम में तड़पता प्रेमी अपने हृदय की व्याकुलता शांत करने के लिए घंटों देखता है चाँद को शायद चाँद में उसे अपनी महबूबा नजर आती होगी कवि ने भी चाँद को कभी प्रेमिका बताया कभी प्रेमिका को चाँद से भी सुन्दर यह चाँद ही गुनहगार है किसी के प्यार करने के जुर्म में यह चाँद ही है जो भड़कता है प्यार करने को और यह प्यार तोड़ रहा है उनके बनाये नियम को यह प्यार ही है जो ख़राब कर रहा है उनकी संस्कृति को सदियों के संस्कार को उन्होंने सुना दिया चाँद को फ़तवा मत निकलना कल से आकाश में मत बिखेरना प्यार के बीज धरती पर नहीं तो दर्जनों प्रेमी युगल की तरह तुम्हें भी चढ़ा दिया जायेगा शूली पर । प्रेम के किस्से तुम अक्सर कहती हो की क्या हमारे प्रेम के किस्से को कोई याद रखेगा और मैं हमेशा की तरह हँसते हुए यही कहता ये चाँद है न हमारे प्रेम का प्रत्यक्षदर्शी । हर सुख - दुःख का साथी हमारे जैसे करोड़ो प्रेमीजोड़ों का गवाह । तुम फिर भावुक हो कर पूछती करोड़ो साल बाद जब चाँद नष्ट हो जायेगा   , पृथ्वी जलमग्न हो जायेगी शहर से दूर वो चर्च जहाँ हम अक्सर मिलते हैं बिखर जायेगी   , यह घाट जहा हम दोनों बैठे हैं नदी के पानी डू