स्वच्छ भारत | clean india | An article by Sudhakar Ravi

                                 स्वच्छ भारत      

होठों पे सच्चाई रहती है , जहाँ दिल में सफाई रहती है , हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है। गीतकार शैलेंद्र ने भारतवर्ष का सटीक चित्रण किया है कि भारत वह देश है जहाँ हर होठ पर सच्चाई का वास है , हर दिल में एक दूसरे के प्रति इज्जत , सम्मान रहता है , इस देश के वासी को गर्व  है कि उनके देश में गंगा बहती है , जिसके नाम सुनते ही  मन में स्वच्छता का प्रवाह हो जाता है , ह्रदय पवित्र हो जाता है ।
                     स्वच्छता भारत में हमेशा से ही महत्वपूर्ण विषय रहा है । यहाँ के हरेक पर्व में स्वच्छता कहीं न कहीं विद्यमान है । बात चाहे दिवाली में की हो जब घर-गलियों को साफ-सथुरा कर , दीपों से सजा राम लला की प्रतिक्षा करने की हो या होलिका दहन कर अपने घर-संसार , मन-मस्तिष्क को पवित्र कर नए वर्ष में प्रवेश करने की हो ।स्वच्छता हर जगह विद्यमान क्योंकि स्वच्छ वातावरण में ही मनुष्य प्रसन्नचित रहता है । चित की प्रसन्नता सफलता और सुविचारों को जन्म देती है । सुविचार से कला-संस्कृति और नए आविष्कार का जन्म होता है ।                         
                          गाँव की संस्कृति में साफ-सफाई हमेशा से मौजूद रहा है इसका मूल कारण है वहाँ की समाज केन्द्रित प्रवृति । बात चाहे सामूहिक तालाब की हो या सामूहिक कुएँ की , इनका साफ-सफाई का जिम्मा पूरे समाज पर रहता है । वहाँ श्रमदान से नली-गलियों की साफ-सफाई का समुचित व्यवस्था है । यह उनके जिम्मेदारी का ही परिणाम है कि गाँधी जी ने स्वच्छता की वकालत करते हुए गाँव की व्यवस्था को आदर्श माना था । पर गाँव में भी कुछ समस्या मौजूद है ।  गाँव की सबसे बड़ी समस्या रही है खुले में शौच करना । गाँव में ऐसी मान्यता रही है की गंदा-मैला पदार्थ घर से दूर रखना चाहिए । पर अब ऐसी मान्यता को त्याग कर वैज्ञानिक तौर-तरीके को अपना जरुरी है । घर में शौचालय बनवाने की आवश्यकता है।                
गाँव के अपेक्षा गंदगी शहर में ज्यादा है । शहरवासी घर का कूड़ा सड़क पर छोड़ आते है , जहाँ-तहाँ कूड़ा फेक आते हैं । उन्हे गली –मुहल्लों का बिल्कुल चिंता नही है। रेलवे स्टेशन , सड़कों पर ,  ट्रेनों में गंदगी का अंबार लगा रहता है, लोग ट्रेनों में कचरा करने से बाज नही आ रहे हैं । ऐसे में जरुरत है हम अपने सामाजिक जिम्म्दारियों का समझे । देश में अस्वच्छता को फैलने से रोकना व उन्हे जागरुक करना हमारा परम कर्तव्य है । नियमित रुप से हम अपने गली-मुहल्लों का सफाई करें ।  जहाँ कही भी कोई गन्दगी फैलाता हो उसे यह समझाना कि इससे बीमारीयाँ पनप सकती हैं । उन्हे यह समझाना कि कचरा आप नियत और उचित जगह पर फेंके ।  साथ ही साथ उस उचित जगह से कचरा का समय से उठाव , जीवाणु नाशक दवाओं का छिड़काव भी अति आवश्यक है । गाँव , मुहल्ला वार्ड स्तर पर स्वच्छता स्वयं सेवक इकाइयों का गठन भी इस दिशा में एक कारगर कदम हो सकता है ।   
                         अक्सर शादी-विवाह या अन्य कार्य़क्रम में बहुत सारा भोजन बच जाने से उसे कचरे में फेंकना पड़ता है । हमे इससे बचना चाहिए , साफ-सफाई करने के साथ-साथ जरुरी है कि हम कूड़ा , बेकार पदार्थ, गदंगी कम उत्पन करे , क्योंकि गदंगी साफ करने से अच्छा है कि हम गंदगी कम उत्पन करें।

                    अभी देश भर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है , जिसमें देश के बड़ी-बड़ी हस्ती सड़क पर झाडू लगाते नजर आ रहे हैं । पर क्या वे अपने घऱ में साफ-सफाई खुद करते है ? घर में साफ-सफाई के लिए वे नौकर रखते हैं पर सड़क पर झाड़ू लगाते नजर आते हैं । जो व्यक्ति नौकर से इन्सान की तरह बात नही करते वे दूसरे को उपदेश देते नजर आते हैं इन दृश्यों को देख कर सिर्फ हँसी ही आती है । गाँधी जी ने कहा था कि अपना काम स्वयं करो और वे खुद अपना शौचालय खुद साफ करते थे । वे कहा करते थे की नीच वे नही हैं जो गंदगी साफ करते हैं , नीच तो वे हैं जो गंदगी फैलाते हैं। वे हमेशा से भंगी-दाई को कहा करते थे कि आप लोग इस धरती से गंदगी साफ करते हैं , यह धरती आपका ऋणी है । पर आज परिस्थितियाँ एकदम भिन्न है, साफ-सफाई करने वाले को हीराकत के नजरों से देखा जा रहा है । स्वच्छता अभियान के लिए जरुरी है भंगी-दाई के काम को इज्जत दिलाना । साथ ही साथ हम यह भी देखते है कि कुछ बच्चे कचरे के ढ़ेर में कुछ खोज रहे हैं । यह हम सब के लिए चिंता का विषय है ।  
                           स्वच्छ भारत का लक्ष्य तब तक प्राप्त नही किया जा सकता जब तक भारत का पर्यावरण स्वच्छ न हो , प्रदूषण रहित न हो । हम अपने गली-मुहल्लों को तो साफ कर लेगें पर जो हवा , पानी दूषित हो रहा है उसको कैसे रोके ? कारखानों से निकलने वाले धुँए , जहरीला पानी पर सरकार को नियत्रंण करना अत्यंत आवश्यक है । साथ ही साथ तापीय विद्युत केन्द्रों के प्रदूषण से बचने के लिए ऊर्जा के नए स्त्रोतों पर जोर देना चाहिए । 
                - सुधाकर रवि
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