Two poem of Sudhakar Ravi published in Dainik Bhaskar.


दैनिक भास्कर ( पटना संस्करण ) के साहित्य पेज में 23-02-2015 को प्रकाशित मेरी दो कविताएं

Two poem of Sudhakar Ravi published in Dainik Bhaskar Patna edition in literature page on date 23-02-2015 .

अखबार से

दहके आग पलास के


पतझड़ के जुर्म से
दहक उठे हैं
पलास के दिल में आग
क्या जुर्म होने पर
तुम्हारे दिल में
दहकती है वह आग
यदि नहीं, तो क्या
आप जिन्दा हैं ?
जुर्म के बाद
दिल की आग
दहक उठे
यह पलास के
फूलों से सीखो

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बूढ़ा महुआ का पेड़


उम्र का अनुभव
बांटता आज भी
खड़ा है वह
बूढ़ा महुआ का पेड़
वसंत के आने पर
रस के मादक
हो उठते हैं
उसके फूल
किन्तु अपनी मर्यादा की
सीमाओं को
नहीं लांघता है वह
वह नही गाता
गन्दा फाग और चैता
उसके गीतों से
आज भी रस टपकते हैं
सभ्यता और संस्कृति के .
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