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Showing posts from February, 2017

जिनके मुँह में कौर माँस का उनको मगही पान

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देखो हत्यारों को मिलता राजपाट सम्मान जिनके मुँह में कौर माँस का उनको मगही पान प्राइवेट बन्दूकों में अब है सरकारी गोली गली-गली फगुआ गाती है हत्यारों की टोली देखो घेरा बांध खड़े हैं ज़मींदार की गुण्डे उनके कन्धे हाथ धरे नेता बनिया मुँछ्मुण्डे गाँव-गाँव दौड़ाते घोड़े उड़ा रहे हैं धूर नक्सल कह-कह काटे जाते संग्रामी मज़दूर दिन-दोपहर चलती है गोली रात कहीं पर धावा धधक रहा है प्रान्त समूचा ज्यों कुम्हार का आँवा हत्य हत्या केवल हत्या-- हत्या का ही राज अघा गए जो माँस चबाते फेंक रहे हैं गाज प्रजातन्त्र का महामहोत्सव छप्पन विध पकवान जिनके मुँह में कौर माँस का उनको मगही पान कवि अरुण कमल जब यह कविता लिख रहे होंगे तो निश्चित ही उनके मन में अस्सी , नब्बें के दशक की बिहार की पीड़ा होगी. जब जमींदार का आतंक होता. जमींदार के खेते में बेगार काम करना पड़ता. खेतों पर जमींदार का कब्ज़ा होता, जब जमींदार की बात ना मानाने पर उनके लोगों द्वारा पिटा जाता , यहाँ तक कि पिटते-पिटते मार देने तक की घटना सामान्य होती. लेकिन इसके विरोध में जब किसान मजदूर एकजुट होकर अपनी लड़ाई शुरू किये तो जमींदार द्वारा उन्हें खत्म करने की क

हाल-ए-पटना पुस्तक मेला 2017

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पटना के गांधी मैदान में 4 फरवरी को शुरू होने वाला 23 वां पटना पुस्तक मेला 14 फरवरी को समाप्त हो गया। ग्यारह दिन तक चलने वाले इस पुस्तक मेला में दर्जनों किताबों का लोकार्पण हुआ , कई काव्य गोष्ठियों , पुस्तक अंश पाठ का आयोजन हुआ । साथ ही विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर परिचर्चा भी आयोजित हुई । पटना पुस्तक मेला यूँ तो हर वर्ष नवंबर-दिसंबर के महीने में आयोजित किया जाता है लेकिन 350 वें प्रकाश वर्ष के कारण दो महीने विलम्ब से शुरू हुआ। 4 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली इस पुस्तक मेला उद्घाटन किया । साथ ही पुस्तक मेला को राष्ट्रीय स्तर से अंतरराष्ट्रीय सलाह दी । क्या क्या हुआ ? सी आर डी द्वारा आयोजित पुस्तक मेले का इस वर्ष का थीम कुशल युवा सफल बिहार रखा गया । युवा को कुशल बनाने के उद्देश्य से ही मेला में कार्यशाला भी रखा गया । कार्यशाला में क्लास 12 तक के बच्चों को कविता लेखन , कहानी लेखन , पेटिंग करना बताया गया । हिंदी फिल्म गीतकार राजशेखर ने बच्चों की कविताएं सुनी , कविताओं को और बेहतर बनाने की बात बताई साथ ही अपनी कविता सुनाई , फिल्म में गीत लिखने के अप

पटना पुस्तक मेला | फर्स्ट डे

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कल का पुस्तक मेला मेरे लिया काफी यादगार रहा . क्यों कि मैं पहली बार किसी पुस्तक मेला में शरीक हो रहा था . संयोग से पुस्तक मेले में हिंदी फिल्म गीतकार राज शेखर भी बच्चों के कविता कार्यशाला में आये हुए थे . सो उनसे भी मुलकात हो गयी . बड़े दिनों से उनके तनु वेड्स मनु और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के सारे शानदार गाने सुनता आ रहा हूँ . राज शेखर हिंदी फिल्मों के जितने बड़े गीतकार हैं उतनी ही दखल हिंदी साहित्य में भी रखते हैं और उनका मानना भी है की फिल्म गीत साहित्य से इतर है भी नहीं. पटना पुस्तक मेला में कविता के बहाने बच्चों से रूबरू होते गीतकार राजशेखर @rajshekharis pic.twitter.com/l2ZIv30U5Z — Sudhakar Ravi (@TheSudhakarRavi) February 5, 2017 राज शेखर बताते हैं कि कविता लिखने का शौक उन्हें चौथी क्लास से ही लगी. 11 th और 12 th में जब वे मधेपुरा से पटना पढ़ने आये तो उन्हें मैथ्स से बड़ा डर लगता . मैथ्स का क्लास उन्हें बोझिल मन से पढ़ना पड़ता . सो उनका ज्यादा वक़्त पटना कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी के सामने वाली किताबों के दुकानों में किताब उलटे गुज़रता . ग्रेजुएशन में दिल्ली यूनिवर्सिटी चले गये हिंदी