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चित्रलेखा उपन्यास के स्मरणीय कथन

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चन्द्रगुप्त नाटक के स्मरणीय कथन

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चन्द्रगुप्त नाटक में गीति काव्य योजना

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हिंदी साहित्य में नाटक विधा का प्रवर्तक भारतेंदु हरिश्चंद्र को माना जाता है . भारतेंदु   के बाद हिंदी नाटक को नए आयाम , नए रूप देने वालों नाटककारों में जयशंकर प्रसाद सबसे अग्रिणी है . कविता, कहानी के इतर प्रसाद ने कई ऐतिहासिक और समसामयिक नाटक का रचना किये हैं . स्कन्दगुप्त , ध्रुवस्वामिनी के अलावे उनका अन्य लोकप्रिय नाटक है चन्द्रगुप्त . सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के तक्षशिला में शिक्षा प्राप्त करने से लेकर से मगध सम्राट बनने तक का कथा . विदेशी सिकंदर से देश को बचाने की कथा .                                       नाटक को रुचिकर और प्र भावशाली बनाने के लिए जयशंकर प्रसाद गीत  का उपयोग करते हैं . नाटक में कुल ११ गीत हैं . कुछ गीत प्रेम के हैं तो कुछ देश प्रेम के . इस नाटक के सभी गीतों में से दो गीत काफी लोकप्रिय रहे हैं . जिनका इस्तेमाल अन्यत्र भी किया जाता रहा है . प्रथम गीत है ‘अरुण यह मधुमय देश हमारा’ . ग्रीक  दार्शनिक सेल्यूकस की कन्या कोर्नेलिया सिन्धु नदी के तट पर प्रकृति का मनोरम दृश्य देख रही है . कोर्नेलिया को भारतवर्ष के इस मनोरम दृश्य में डूबती जाती है . और भारतीय संगीत के अपने प