Two poems of sudhakar ravi published in dainik bhaskar on 16-03-15.
खूबसूरत
कवि मूलतः नारी होता है
माँ के रूप में
वह प्रसव पीड़ा की तरह
वेदना सहकर
देता है शब्दों को जन्म ।
शब्द विन्यास के
प्रसवकाल में
वही जनता है
माँ का दर्द
माँ ही है शब्द
जिससे सुंदरता जन्म लेती है
कवि मूलतः नारी होता है
माँ के रूप में।
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2.
लिपि
ना कोइ लिपि
ना ही आवाज़ हो
फिर भी समझ ही जाते हैं
समझने वाले
उम्र का सीमा हो या
हो भाषा की बंधन,
पर जता ही देते हैं
जतलाने वाले
मानव, पशु या हो
कोई भी जीव इस धरा
हर कोई समझता है
इस शब्द की भाषा
हर शब्द बयां होते है मुख से
पर नजरों से बयां होकर
और भी हो जाता है खूबसुरत
सबसे खूबसुरत
सबसे शास्वत ,
सबसे आकर्षक
शब्द प्यार
जिसमें समाहित है
दुनिया भर का
ज्ञान .
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