नॉन रेज़िडेंट बिहारी | Book Review
अमेज़न पर कुछ महीनों पहले इस बुक को देखा था । Non Resident Indian(NRI) सुना था , Non Resident Bihari(NRB) पहली बार सुन रहा था । किताब को जानने की उत्सुकता में लिंक पर क्लिक कर दिया । पांच मिनट इधर-उधर पढ़ने पर पता चला की किताब खूब बिक रही थी । इसके रिव्यु भी अच्छे थे । कुछ ही दिन बाद फिर फेसबुक पर इस के बारे में किसी फ्रेंड का स्टेटस पढ़ा । उत्सुकता और भी बढ़ गयी । अगले ही दिन अमेज़न पर आर्डर कर दिया । बुक मिला 27 जनवरी को । तब से आज तक (4 मार्च ) किताब को रोज उलट-पलट के देखता और एग्जाम बाद पढ़ने पर टाल देता । जब 4 मार्च को एग्जाम से छुटा तो सबसे पहले यही किताब उठाया । किताब के नाम में ही गजब का उत्साह था ।
किताब के लेखक शशिकांत मिश्र हैं । बिहार के हैं । पेशे से पत्रकार हैं , ABP NEWS में काम करते हैं । इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट हैं और हिंदी पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हैं । UPSC निकालने दिल्ली आये थे । UPSC तो नहीं क्लियर हुआ लेकिन यह किताब लिख मारा ।
किताब की कहानी है UPSC की तैयारी करने बिहार से दिल्ली आये कुछ लड़कों की । किताब का मेन कैरेक्टर का नाम है राहुल । राहुल कटिहार का है । पिताजी किसान हैं । सूद पर पैसा लेकर बेटे को दिल्ली UPSC की तैयारी के लिए भेजें हैं । राहुल की एक गर्लफ्रेंड हैं शालू । कटिहार की ही है । बड़े परिवार की है । UPSC की तैयारी करने दिल्ली आया राहुल तो गर्लफ्रेंड से जुदा होना पड़ा । दिल्ली में राहुल का मन एक बार UPSC के बारे में सोचता तो एक बार शालू के बारे में । राहुल को उम्मीद की एक बार UPSC निकल जाये तो शालू के पापा ख़ुशी-ख़ुशी अपने बेटी की शादी करा देंगे । दो बार एग्जाम दिया लेकिन UPSC नहीं क्लियर हुआ । कभी पीटी में फेल कर जाये तो कभी मैन्स में । एक बार तो इंटरव्यू में छंटा । उधर शालू की भी शादी की बात होने लगी थी । हर बार जब राहुल को उसकी शादी की खबर मिलती ये पागल हो जाता । पर किसी तरह शालू की शादी कटती रही । कभी शालू कभी UPSC के उहापोह में पेंडुलम की तरह झूलता रहता राहुल ।
राहुल और शालू के अलावे और भी कैरेक्टर है इस किताब में । राहुल के दोस्त । जम के लफुबाज़ी करते हैं सब । जो कि इस किताब के जान हैं । जबरदस्त मस्ती करते हैं सब । सब कहानी बता देंगे तो मज़ा खराब हो जायेगा । सो आगे चला जाए ।
कलात्मक पक्ष
किताब की भाषा साधारण है , आसान है । इतना साधारण है की कोई भाषायी आकर्षण है ही नहीं । लेखन कला का प्रयोग है ही नहीं, है भी तो कम है । कही-कही किताब उबाऊ हो जाता है । शालू को लेकर राहुल का परेशानी कही कही माथा ख़राब कर देने वाला होता है । लगता है बार बार एक ही चीज़ क्यों लिख दिया है लेखक ने । प्रेम कहानी हैं । जुदाई भी है । लेकिन इस प्रेम कहानी में गम्भीरता नही दिखती । गहराई नही दिखती । ऐसा लगता है जैसे लेखक ने सपाट बयानी की हो ।
किताब का मटेरियल
इस किताब का मेन थीम है बिहार । किताब में कही नहीं लगा की बिहार के पृष्ठभूमि का कही पे इस्तेमाल हुआ है । जब आप बिहार को केंद्र कर किताब लिख रहे हैं तो कहानी मज़ेदार , मनोरंजक होनी ही चाहिए । बिहारी का मतलब ही है बिंदास , मनमौजी , भावुक , सनकी । किताब के कैरेक्टर कही भी इसके आस पास के नही लगे । किताब में बिहार बस नाम का है । किताब का नाम non resident bihari के जगह नॉन resident राजस्थानी भी रहता तो कोई फर्क नही पड़ता । क्यों पुरे किताब में बिहार की आत्मा गौण है । पुरे किताब में फालतू का कृत्रिम भावुकता है । जो बोर कर देता है । कही कही पे राहुल का सपने में भगवान् से बात करना दिमाग से परे है। दिल्ली का भी कोई इस्तेमाल नहीं किया गया है । नाम मेट्रो न मॉल और ना ही जी.बी रोड ।
किताब में खासियत ये है की UPSC की तैयारी करने वालों को , उनके रोज़ के लाइफ को , उनके भाषा शैली को बयां किया गया है । लव मैरिज करने में हज़ार मुसीबत होती है । उन मुसीबत का एक और किस्सा ये किताब कह जाता है । किताब में दोस्तों का खुलापन, जानलूटा देने की जज्बा ,दोस्त के लिए उसकी गर्लफ्रेंड के भाई से भीड़ जाने की सनक को बेखूबी लिखा गया है । जो इस किताब की जान हैं । दोस्ती के नाम पे ये किताब पढ़ सकते हैं ।
रेटिंग – 2/5
नॉन रेज़िडेंट बिहारी
शशिकांत मिश्र
मूल्य – 99 रु.
राधाकृष्ण प्रकाशन,दिल्ली
अमेजन का लिंक - http://www.amazon.in/Non-Resident-Bihari-Shashikant-Mishra/dp/8183617964
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जो लोग प्यार को गहराई से फील करते हैं उन्हें जरूर अच्छी लगेगी
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