हमें आईना दिखता राम जेठमलानी को रवीश कुमार की खुली चिट्ठी .
भारतीय समाज में अक्सर सफल व्यक्तियों का अनुकरण करने की प्रथा रही है ... सिर्फ सफल हो जाना ही उसके व्यक्तित्व को आकर्षक बना देता है... लोग आंख पे पट्टी बांधे उसके हर एक काम का अनुकरण करने लगते हैं..चाहे वो न्यूटन हो , आंइसटीन हो , शेक्सपीयर हो , विवेकानंद हो या फिर कोई और । हम सब का अनुकरण कर लेते है .. हम अनुकरण करने में सबसे आगे हैं.. कहा जाए तो भारत कृषि प्रधान देश नही अनुकरण प्रधान देश है...ब्रिटिश आए तो हमने उनका अनुकरण कर लिया ... उनकी वेश-भूषा , उनकी भाषा , उनका रहन-सहन , उनकी जीवन शैली.. उनके जैसा व्यवहार यहां तक की हमने उनकी गालियां भी सीख ली ... कोई क्या है .. कितना अच्छा बोल रहा है .. कैसा विचार है .. इस बात से हम भारतीय को कोई असर नही पड़ता .. हम केवल इस बात को महत्व देते हैं कि व्यक्ति कितना सफल है .. उसकी ब्रांड वैल्यु कितना है ... इस समय की बात करें तो हर बच्चे..किशोर..युवक.. यहां तक आधे युवक आधे प्रौढ़ भी सार्वभौमिक तौर पर .. सुपर स्टार सलमान खान का फैन है .. हो भी क्यों न .. भाई की एक फिल्म क्या आई बॉक्स ऑफिस पे छप्पर फ...