शहनाई जादूगर बिस्मिल्लाह खान की जन्मदिन पर
शहनाई जादूगर बिस्मिल्लाह खान की जन्म दिन पर 21 मार्च , 1916 - 21 अगस्त , 2006 उस्ताद , तुमने तंगी में जिंदगी गुजार दी , मजहबी फ़सादों को चुनौती देते रहे दुनियाँ घूमे लेकिन रमे रहे बनारस में। काशी विश्वनाथ के फाटक से लेकर मुहरर्म के ताजिये के जुलूसों तक , बनारस की फिज़ाओं में तुम्हारी शहनाई गूँजती रही और सांप्रदायिक फ़सादों के खून खराबे में हताहतों के लिए तुम्हारी शहनाई मर्सिया पढ़ती रही। 2016 तुम्हारी जन्म शताब्दी का वर्ष है उस्ताद! तुम्हारी शहनाई , जिसे तुम ' पिपिहिरी ' कहा करते थे , हमारी हस्ती की पिपिहिरी है वह। , बनारस की गलियों में ही नहीं , बल्कि पूरे हिंदुस्तान और दुनियाँ-जहान के अवाम के दिलों में तुम्हारी शहनाई गूँजती रहेगी।) डुमराँव (बिहार) की भिरंग राउत की गली नामक मोहल्ले में जन्मे , 6 वर्ष की उम्र से ही बनारस में पाले-बढ़े बिस्मिल्लाह खान पूरे तौर पर बनारसी थे- ठाट बनारसी , राग बनारसी , रंग बनारसी। बनारस से अलग कर उनको , उनके संगीत को नहीं समझा जा सकता। स्वभाव बमभोला , धर्म संगीत और व्यक्तित्व नटराज। उन्हें बात करते , शहनाई बजाते जिसने भी देखा-सुना होगा , उससे उनके...